गुलो का रंग
दिलो को खोल कर अपना गुलो का रंग भरने दो

बहती पवन बसंती में सतरंगी फूल खिलने दो
है मौसम प्यार का आया जिधर देखो ख़ुशी दे दो
जिस लब पर उदासी हो उसे थोड़ी ख़ुशी दे दो
घरो की छत पे देखो तो पापड़ और बरियाँ फैली है
किसी दुखिया को थोडा अन्न थोडा रंग भी दे दो
सभी को रंग दो रंगों में नहीं बचने कोई पाए
ह्रदय के सरल सागर में मोती के सीप खुलने दो
अपनों को भी तुम रंग दो गैरों को भी तुम रंग दो
पिता जी भी नहीं छूटे माता को भी तुम रंग दो
जहाँ के ज़र्रे ज़र्रे में नशा तुम प्यार का भर दो
दादा हो या दादी हो भाई को भी तुम रंग दो
सखी या भाभी गर आये अदब से उसको भी रंग दो
बुरा गर मान जाए तो झुक कर तुम नमन कर लो
उड़ेगा प्यार का हो रंग गुलाबी आसमां होगा
बने पकवान गुझियों से सबका मन मृदुल कर दो
दिलो को ...................
बहती पवन ..................
आदर्शिनी श्रीवास्तव
happy holi