Friday, April 1, 2011

gulon ka rang

गुलो का रंग

by Adarshini Srivastava on Sunday, March 20, 2011 at 11:04am

दिलो को खोल कर अपना गुलो का रंग भरने दो

बहती पवन बसंती में सतरंगी फूल खिलने दो


है मौसम प्यार का आया जिधर देखो ख़ुशी दे दो

जिस लब पर उदासी हो उसे थोड़ी ख़ुशी दे दो


घरो की छत पे देखो तो पापड़ और बरियाँ फैली है

किसी दुखिया को थोडा अन्न थोडा रंग भी दे दो


सभी को रंग दो रंगों में नहीं बचने कोई पाए

ह्रदय के सरल सागर में मोती के सीप खुलने दो


अपनों को भी तुम रंग दो गैरों को भी तुम रंग दो

पिता जी भी नहीं छूटे माता को भी तुम रंग दो


जहाँ के ज़र्रे ज़र्रे में नशा तुम प्यार का भर दो

दादा हो या दादी हो भाई को भी तुम रंग दो


सखी या भाभी गर आये अदब से उसको भी रंग दो

बुरा गर मान जाए तो झुक कर तुम नमन कर लो


उड़ेगा प्यार का हो रंग गुलाबी आसमां होगा

बने पकवान गुझियों से सबका मन मृदुल कर दो

दिलो को ...................

बहती पवन ..................

आदर्शिनी श्रीवास्तव

happy holi


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