Monday, April 10, 2017

दुर्मिल सवैया... झकझोर हवा सहकार

एक दुर्मिल सवैया

कल से पारा अचानक ८-१० डिग्री गिर गया l मौसम ठण्डा हो गया l बूँदें बरसीं, बादल छाये, अच्छा लगा l

झकझोर हवा सहकार गिरे ऋतु आज लुभावन आ हि गयी 
घिर आई घटा बरसे बदरा चहुँओर मची किलकारि बड़ी 
घर भीतर से निकले सब बाहर बादल देख पिकी कुहकी 
यह काल कहाँ प्रिय वारिद का हँस वासव से यह बोलिं शची 
....आदर्शिनी ... 'दर्शी' ...मेरठ 

(सहकार-आम, वासव-इंद्र, वारिद- बादल )