Sunday, September 11, 2011

ऑनलाइन मुशएरा,शीर्षक----------तस्वीर जो बसा ली है दिल में

दिल में किसी की तस्वीर जब देखना होता है
इस खातिर मोहब्बत में उतरना होता है,
समझे वो लाख देर से मगर फिर भी
साँसों की तर्ज़ पर दिल तक पहुंचना होता है

ये ऐसी मूरत है जो तमाशाई को तमाशाई रहने दे
लोग देखते रहें और दिलों में गुफ्तगू होती रहे
नकली रिश्ते जो दावा करे और पहरे पे खड़े हों
लाख घात लगाये रहें,रूहों का मिलन होता रहे

नादान वो जो चाबुक चलाये मोहब्बत की पाकीजगी पर
उसके दिल में कोई तस्वीर हो तो वो भी खुदा बन जाये
आँख खोलू तो हर रोज़ हर सुं हो चेहरा उसका
नीद की आगोश से निकल चुपके से ख्वाब में टहल आये

वही वजूद, वही शक्ल वही बाते वही अदा
वही हठ्खेलियाँ उसकी वही मासूम सी अदा
ख्वाब था या जीती जागती निशानी थी
इतनी मौजूद जैसे दिलरुबा की हकीक़त थी