दिल जो न कह सका
Tuesday, April 11, 2017
मत्तगयंद सवैया ...चैत्र लगा दहका...
मत्तगयंद सवैया
चैत्र लगा दहका दिन भू पर पावकनाथ ने पाँव पसारा l
फागुन के अब नेह भरे दिन हाय! कहाँ चढ़ता जब पारा ?
कोकिल प्यासन कूक रही हलकान किसान दुखी घसियारा l
भूमि रहे नम नीर गिरा नभ ताप बड़ा झुलसा जग सारा l
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