Friday, December 2, 2016

सूर्य स्तुति .....उनके २८ नामों के साथ

संसार में जितनी भी प्रकाशवान वस्तु अथवा पदार्थ हैं उसमे प्रकाश सूर्य से ही संभव है l पञ्च महाभूतों में अन्य चार महाभूत सूर्य के आश्रय के बिना संभव नहीं l

हो सूर्यतुम अर्यमानतुम त्वष्टातुम्ही सवितातुम्ही
तुम ही तपे हो स्वर्ण से हो अग्नि की गुरुता तुम्ही
तुम ही जगत की साधना निस दिन तुम्हारा गान है
इस विश्व का आलोक तुम रत्नों की तुममे खान है

हो भानुतुम कामदतुम्ही दिनमणि’ ‘दिवाकरहो तुम्ही
रविकर-निकरउद्भट तुम्ही दिवनाथ’ ‘गहवरहो तुम्ही
भूलोक का कण-कण सदा दिनमानका पूजन करे
गंधर्व ऋषि कंदर्प मुनि शरकांतका अर्चन करें

हो पुत्रवत्सल श्रेष्ठ बुद्धि सद्भाव धैर्य की खान हो
दो दृष्टि का उजियार हो ब्रह्माण्ड का अभिमान हो
अतिशय चमकते तेज से ही चक्र विष्णू का बना
है सत्य सात्विक तेज तप का आचरण तुमसे जना

आदित्यतुम कुंतीपतीअभिमान हो धुलते तुम्ही
मार्तण्ड’ ‘रवि’ ‘दिनकरतुम्ही आपत्तियाँ हरते तुम्ही
करता सुबह जो प्रार्थना पाता अमित वरदान है
संसार की हर वस्तु ज्योतिर्मय तुम्ही से, ज्ञान है

हो अर्कतुम विवस्वानतुम अधिपति’ ‘प्रभाकरहो तुम्ही
हो शीत का उपचार तुम विधु मखमली भी हो तुम्ही
हो अंशुपति’ ‘वह्निनाथतुम धातातुम्ही पूषातुम्ही
दिग्नाथ’ ‘पावकनाथहो तुम प्राणदा ऊषा तुम्ही

              आता प्रलय जब-जब धरा पर नीर किरणें सोखतीं
रचता नया संसार तब नव नव प्रजाती बोलती
हो भास्करकी प्रार्थना तन मन मनस अरु भाव से
तो तेज तुम सा त्याग तुम सा मान ध्यान प्रभाव से 



 ....adarshini srivastva ....