Friday, April 1, 2011

preet ki holi

By Adarshini Srivastava · Tuesday, March 15, 2011

ह्रदय सागर को पात्र बना


निर्मल मन का नीर

पंचोली पट हो प्रतिबिंबित

नीली पुतली का नील

काली अलकों का रंग स्याह लें

रक्तिम अधरों की रीति

गौरपीत करों से घुलकर

मिश्रित होकर प्रीति

नैन गुलाबी डोर बने नेह पिचकारी की धार

इस प्रेममय रंगों को तू भरकर सबपर डाल

इसमें तन मन भीग बजेगा जो मधुरिम संगीत

होली के नूतन अवसर पर होगा वो सबका मीत

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