Tuesday, August 2, 2011

प्यार की कश्ती



प्यार की कश्ती


दिल में बसे हो मेरे हम भी उतर चुके हैं
अनजानी इस ख़ुशी में हम दोनों खो चुके है,

खुद को लुटाकर तुमपर तुमको है मैंने पाया,

प्यार की कश्ती पर, हम दोनों ही चढ़ चुके है

मान जाओ बात मेरी जाने की जिद भी छोडो,

मोहब्बत की हद से देखो हम तुम गुजार चुके है,

प्यार के नर्म ज़ज्बात अब भी बने हुए है,

दम तोड़े साथ मिलकर, जब मिलकर मिट चुके है,

27 may 2011





















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