Tuesday, August 2, 2011

baarish

रिमझिम बरसात का पानी उनको मुबारक हो

प्रेयसी के रंग मे रंगना उनको मुबारक हो

हाथ फैलाके नाचना बरसात के पानी में

इमारतों में भीग कर जाना उनको मुबारक हो

कहाँ और क्या बनायें अपना ठिकाना हम

पाँव भी टीकाएँ किस जमीं पे हम

दुखती और भी चप्पल बिना फटती हुई बिवाई

टूटी मड़ैया में जब घुसता है ये बरसात का पानी

नदी नाले पोखर जहाँ उफान मारते हो

उन्हें कब भला भाता है ये बरसात का पानी

आश्वासन की उम्मीद थामे महीनों गुज़र गए

हाँ देखो,लौट कर आया है फिर ये बरसात का पानी

by adarshini srivastava

30 june 2011 meerut

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