रिमझिम बरसात का पानी उनको मुबारक हो
प्रेयसी के रंग मे रंगना उनको मुबारक हो
हाथ फैलाके नाचना बरसात के पानी में
इमारतों में भीग कर जाना उनको मुबारक हो
कहाँ और क्या बनायें अपना ठिकाना हम
पाँव भी टीकाएँ किस जमीं पे हम
दुखती और भी चप्पल बिना फटती हुई बिवाई
टूटी मड़ैया में जब घुसता है ये बरसात का पानी
नदी नाले पोखर जहाँ उफान मारते हो
उन्हें कब भला भाता है ये बरसात का पानी
आश्वासन की उम्मीद थामे महीनों गुज़र गए
हाँ देखो,लौट कर आया है फिर ये बरसात का पानी
by adarshini srivastava
30 june 2011 meerut
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