Saturday, December 29, 2012

सभी बच्चों को क्रिसमस की बहुत बहुत बधाई
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जिंगल बेल की टुनटुन धुन पर कान लगाओ न...
पिछले दुख को भूल के थोडा सा मुस्काओ न.....
जी करता सेंटा बन जाऊं
ख़ुशी के तोहफे खूब लुटाऊं
गीली आँखों को तुम अपनी
आज सुखाओ न... थोडा मुस्काओ न.....
देखो सुबह है आज रुपहली
कोहरे से झांके किरण सुनहरी
तू हँसे हम ख़ुशी से रो दें
मुझे रुलाओ न... थोडा मुस्काओ न....
मोज़े में खुशियाँ तुम ले लो
झोली में अड़चन तुम दे दो
फिर भी कोई उलझन हो तो
मन में कोई हलचल हो तो
आँख मूँद "दर्शी" कह करके इधर उड़ाओ न...
जिंगल बेल की टुनटुन धुन पर कान लगाओ न...
पिछले दुःख को भूल के थोडा सा मुस्काओ न...
..........आदर्शिनी "दर्शी"........

मेरी इस रचना में उदासी का कारण ...........मेरी ये रचना उस घटना के बाद की है जब देश की एक बेटी दरिंदों का शिकार हो जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी और पूरा देश उसको न्याय के लिए गुहार कर रहाथा

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