ख्वाब में अद्भुत अजूबी एक दिवार देखी
खुदे शब्दों की तमाम इबारत देखी
कहीं नज़म कहीं ग़ज़ल कहीं शेर छपे थे
हास्य औ व्यंग की अजब गजब तस्वीर देखी
सुप्रभात की कहीं सुन्दर शब्दावलियाँ
पूजा अर्चना श्लोकों से सजी हुई कई गलियां
ज्योतिष औ सद्विचारों का कहीं बोलबाला था
लोगों के विचारों पर, विचारों की टिप्पड़ियाँ
कहीं कहीं तो मंच सजा था
बिना निमंत्रण के ही अच्छा खासा रंग जमा था
अनदेखे अनजाने थे फिर भी पहचाने पहचाने थे
कभी वाह वाह, कभी चुटकी,तो कभी हसीं ठठ्ठा था
राजनीति भी उसमे पीछे न थी
ये राजा का वचन,तो कहीं मनमोहन की चुप्पी की चर्चा थी
कांग्रेस का बखान करते हरीश तो बी जे पी के सुरेश थेवकीलों व्यापारियों डाक्टरों नौक्रीपेशों कि भरमार थी
कहीं लिंक, कहीं टैग,तो कहीं बधाई कार्ड थे,
कहीं देशभक्ति तो कहीं घोटालों के दीदार थे
कहीं श्रद्धा, स्नेह, साहित्य और अखबार थे,
तो कहीं कही कुछ अनर्गल तस्वीर और वार्तालाप थे
जो भी है दिवार बहुत थी खुबसूरत सुन्दर
अकेलेपन को बांह पसार अपनाता मित्रमंडल
छुपी प्रतिभा निखारता सवांरता
कल रात देखा अजीब-ओ-गरीब मंज़र
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