Friday, February 10, 2012

मै समझी कि तुम आए

पदचाप किसी कि जब आई,
मै समझी कि तुम आए,
मुख पर छाई हल्की लाली,
मन चहका कि तुम आए,
प्रतीक्षित थी उपवन में काया,
अंतर में लाखों स्वप्न सजाए,
हर आहट पर पलटी और देखा,
नहीं कहीं थे तुम आए,
पट कपाट का तेज उड़ा जब,
दिल धडका कि तुम आए,
खुद को कहीं रमा लूँ सोचा,
बोला अधीर मन, रुक हम आए,
पास कहीं एक यान रुका जब,
लोचन चमके कि तुम आए,
मधुर ध्वनि जब पड़ी श्रवण में,
दिल धडका हाय तुम आए,

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