Sunday, December 11, 2011

तुम ज़हन में अभी भी रहते हो

तुम ज़हन में अभी भी रहते हो,
तुमको खुद छोड़ कर मै आई थी,

याद आता है तेरा गीत बहुत
जिसे तुम संग मै गुनगुनाई थी,

ज़मी का बिस्तर औ चाँदनी चादर
रात भी देख मुस्कुराई थी,

छूकर प्याली जो तेरे पास गई
तूने भी होठ से लगाईं थी

सामने फिर से देखकर तुमको
दिल में धड़कन कहाँ समाई थी,

दूर जाने कि चाह थी फिर भी
दिल तेरे पास छोड़ आई थी,

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