Sunday, October 16, 2011

...........तुम साथ मुझे अपना दे दो........

तुम प्यार मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाऊँगी,

भटक रही अनबूझ सवालों में,
साथ अपना दे दो संवर जाऊँगी,
स्मृतियाँ है जहाँ-तहां ठहरी,
थाम लो हाथ फिर से सम्भल जाऊँगी,
तुम प्यार मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाऊँगी,

पेशाने का वो मीठा बोसा,
बंद पलकों पर भीनी ऊष्मा,
बना विश्वसनीय सखा था तू,
लौट आ,उपहार फिर दे जाऊँगी,
तुम प्यार मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाऊँगी,

कुछ पल को नैनों का मिलना,
उन आँखों से सागर चखना,
धडकन-धडकन का स्पन्दन,
जन्मो तक क्या बिसरा पाऊँगी,
तुम प्यार मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाऊँगी,

मधुरिम थी अब तक मंजरियाँ,
अब शान्त पड़ी सुस्ताती है,
सिन्दूरी शब्द हो साथ तेरे,
गीत हजार मै रच जाऊँगी,
तुम प्यार मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाउंगी,

तेरा आकर प्रत्यक्ष प्रियम् ,
फिर चुपके से यूँ चल देना,
व्याकुल करता कितना मुझको,
शब्दों से क्या मै कह पाऊँगी,
तुम साथ मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाऊँगी,

समर्पित अनछुआ सा प्यार मेरा,
बूझो खुद से मिला था तुम्हे?
जिस समर्पण से चाहा तुमको,
ऐसा कोई और मिला था तुम्हे?
तुम साथ मुझे अपना दे दो, सुख जीवन में फिर पा जाऊँगी,

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