Wednesday, October 12, 2011

गीत....................रंगों कि फूहार दे गया

रंगों की फुहार दे गया,मनके भीतर एक प्यास दे गया
आँख मेरी सपने थे उसके,सपनो का संसार दे गया,
मन के भीतर एक प्यास दे गया

पाती लिख सहलाया उसने,
मिली नहीं पर पाया उसने,
मीठी मीठी बांतों से, कितना
मुझको भरमाया उसने,
हठी बनी,किन्तु रह सकी नहीं,
ऐसा प्यार जताया उसने,

साँसें मेरी सरगम थे उसके,मधुर मिलन कि आस दे गया
मन के भीतर एक प्यास दे गया

रही नहीं मैं अपने वश में,
भावों से नहलाया उसने,
कह पाती कुछ उससे पहले,
अंशु बना चमकाया उसने,
समझ मद्य के अंतराल को,
कन्दर्प सदृश महकाया उसने,

पंखुड़ी मेरी ओस थी उसकी,सुन्दर वो बागबान दे गया,
मन के भीतर एक प्यास दे गया,

निदिया से रजनी जागी जैसे,
जाने का राज़ बताया उसने,
बिछुडन के भय से काप उठी जब,
मिसरी सी थपक लगया उसने,
बगिया का कोई फूल न छूटा,
फिर से सुमन खिलाया उसने,

उर मेरा अनुराग था उसका,दुल्हन का सा एक रूप दे गया
मन के भीतर एक प्यास दे गया,

2 comments:

  1. U r indeed nd no doubt my favorite . Proud to be ur friend ....

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  2. आपकी दोस्ती मेरे लिए भी खास है,धन्यवाद

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