वयस्क को बाल सुधार गृह में रखा गया, पता नहीं वह सुधरेगा कि अन्य बाल अपराधियों को और बिगड़ेगा ..... कल तो न्याय का इंतजार व्यर्थ गया आज देखें न्याय कौन सा गुल खिलाता है ........ ९ सितम्बर की रात इसी विषय पर एक कार्यक्रम आ रहा था ...जिसमे प्रसून बाजपेई जी ने अंत में बताया कि "आप लोगों ये जान कर बहुत हैरानी होगी कि १६ दिसंबर के बाद १५०० (डेढ़ हजार ) "रजिस्टर्ड" मामले ऐसे ही दर्ज हो चुके हैं "
हो भी क्यों न जब कोई भय ही नहीं है तो तो ये दुष्कृत्य तो होंगे ही ...जब १५०० रजिस्टर्ड मामले है तो न जाने कितने बिना रजिस्टर्ड किया मामले होगे................
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सरकार गंभीरता से प्रदेश में आई पर विपत्ति ओर ध्यान दे, वोटों की राजनीती में बेगुनाहों का खून बहा कर कोई पार्टी अपनी रोटियां न सेकें, हमारे नगरवासी अफवाहों पर भरोसा न करे आज कल कुछ भी कृतिम बनाना असंभव नहीं कोई भी सी डी कोई भी पिक्चर एडिट कर झूठी बनाई जा सकती है या वो कब की है कितने वर्ष पुराणी है इसको जांचे, हिंसा से हिंसा कभी शांत नहीं होती इसे समझे हम देश के नागरिक सद्भाव से रहें उपद्रियों को दंड देने का कार्य हमरा नहीं और न हम देने में समर्थ ही है किसी एक की जान लेकर समस्या का समाधान नहीं निकल सकता क्योंकि यहाँ अगर लोग रोज़ मरते हैं तो रोज़ जन्मते भी है इसको समझे, विवेक से सोचे, धैर्य रखे, प्यार बाँटें,............
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प्राईम टाइम में हमेशा भारतीय दो पार्टियों कि नोक छोंक सुनती थी लेकिन आज पाकिस्तानी पत्रकार के समक्ष जिस तरह मीनाक्षी लेखी जी ने अपनी बात अपने आक्रोश के जरिये और किशोर जी ने जिस आक्रामक रूप के साथ देश का प्रतिनिधित्व किया उसे देखकर मन खुश हो गया.....अगर आपलोग सुनने से वंचित रह गए हों तो नेट पर सर्च कीजिये और हम भारतियों का जज्बा देखिये, और देखिये कि हमारे मामले में किस तरह बाहर वाले टांग अडाते है लेकिन हम उनको ये छूट नहीं देते....
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आज सर्वेश अस्थाना जी ने कहा कि हम स्वदेशी चीजों का इस्तमाल करके रूपये की कीमत को बढ़ा सकते है और प्रभात प्रणय जी ने स्वदेशी वस्तुओं की लिस्ट प्रस्तुत की जिसमे पता चला कि बहुत से जाने माने उत्पादन भारत के हैं जो फैंसी नाम के कारण बाहर के लगते हैं .......पर यहाँ एक विचार और भी कई दिनों से मन में है उत्तर प्रदेश में लाखों लैपटॉप बांटे गए वैसे तो वो कोई अपनी जेब से नहीं बांटे जा रहे है फिर भी अगर वो "hp" का लैपटॉप न होकर "hcl" का होता तो भारत की काफी मुद्रा विदेश जाने से बच जाती .....क्या इतनी समझ अखिलेश जी को नहीं है? या देश के प्रति दर्द नहीं है? या बाहर वालों के आगे छले जाने में लाज नहीं आती?.....
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आज सर्वेश अस्थाना जी ने कहा कि हम स्वदेशी चीजों का इस्तमाल करके रूपये की कीमत को बढ़ा सकते है और प्रभात प्रणय जी ने स्वदेशी वस्तुओं की लिस्ट प्रस्तुत की जिसमे पता चला कि बहुत से जाने माने उत्पादन भारत के हैं जो फैंसी नाम के कारण बाहर के लगते हैं .......पर यहाँ एक विचार और भी कई दिनों से मन में है उत्तर प्रदेश में लाखों लैपटॉप बांटे गए वैसे तो वो कोई अपनी जेब से नहीं बांटे जा रहे है फिर भी अगर वो "hp" का लैपटॉप न होकर "hcl" का होता तो भारत की काफी मुद्रा विदेश जाने से बच जाती .....क्या इतनी समझ अखिलेश जी को नहीं है? या देश के प्रति दर्द नहीं है? या बाहर वालों के आगे छले जाने में लाज नहीं आती?
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दो बातें हो सकतीं हैं या तो मुल्क के किसी बड़े राज नेता के भाषण या राष्ट्रीय त्योहारों पर सुरक्षा कर्मियों और पुलिस विभाग पर इतना अधिक मानसिक और शारीरिक श्रम करना पड़ता है कि उनको खाने पीने तक की फुर्सत नहीं मिलती तभी तो थोड़ी देर के भाषण में बगल में ही खड़ा पुलिस कर्मी बेहोश हो गया ....पर भाषण एक सेकेण्ड के लिए भी न रुका.... क्या यह मानवता है? अच्छा वक्ता बिना पढ़े अच्छा भाषण देगा ये तो निश्चित है मगर आज के दिन भी उसका व्यक्तिपरक भाषण क्या सही है? क्या सर्फ़ को ऊँचा दिखाने के लिए टाइड की कमी बताना जरुरी है? कहा जाता है दूसरी लाइन को छोटा करना हो तो उसके बगल एक बड़ी रेखा खींच दो ......(मैं किसी पार्टी से रिश्ता नहीं रखती )......
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हो भी क्यों न जब कोई भय ही नहीं है तो तो ये दुष्कृत्य तो होंगे ही ...जब १५०० रजिस्टर्ड मामले है तो न जाने कितने बिना रजिस्टर्ड किया मामले होगे................
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सरकार गंभीरता से प्रदेश में आई पर विपत्ति ओर ध्यान दे, वोटों की राजनीती में बेगुनाहों का खून बहा कर कोई पार्टी अपनी रोटियां न सेकें, हमारे नगरवासी अफवाहों पर भरोसा न करे आज कल कुछ भी कृतिम बनाना असंभव नहीं कोई भी सी डी कोई भी पिक्चर एडिट कर झूठी बनाई जा सकती है या वो कब की है कितने वर्ष पुराणी है इसको जांचे, हिंसा से हिंसा कभी शांत नहीं होती इसे समझे हम देश के नागरिक सद्भाव से रहें उपद्रियों को दंड देने का कार्य हमरा नहीं और न हम देने में समर्थ ही है किसी एक की जान लेकर समस्या का समाधान नहीं निकल सकता क्योंकि यहाँ अगर लोग रोज़ मरते हैं तो रोज़ जन्मते भी है इसको समझे, विवेक से सोचे, धैर्य रखे, प्यार बाँटें,............
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प्राईम टाइम में हमेशा भारतीय दो पार्टियों कि नोक छोंक सुनती थी लेकिन आज पाकिस्तानी पत्रकार के समक्ष जिस तरह मीनाक्षी लेखी जी ने अपनी बात अपने आक्रोश के जरिये और किशोर जी ने जिस आक्रामक रूप के साथ देश का प्रतिनिधित्व किया उसे देखकर मन खुश हो गया.....अगर आपलोग सुनने से वंचित रह गए हों तो नेट पर सर्च कीजिये और हम भारतियों का जज्बा देखिये, और देखिये कि हमारे मामले में किस तरह बाहर वाले टांग अडाते है लेकिन हम उनको ये छूट नहीं देते....
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आज सर्वेश अस्थाना जी ने कहा कि हम स्वदेशी चीजों का इस्तमाल करके रूपये की कीमत को बढ़ा सकते है और प्रभात प्रणय जी ने स्वदेशी वस्तुओं की लिस्ट प्रस्तुत की जिसमे पता चला कि बहुत से जाने माने उत्पादन भारत के हैं जो फैंसी नाम के कारण बाहर के लगते हैं .......पर यहाँ एक विचार और भी कई दिनों से मन में है उत्तर प्रदेश में लाखों लैपटॉप बांटे गए वैसे तो वो कोई अपनी जेब से नहीं बांटे जा रहे है फिर भी अगर वो "hp" का लैपटॉप न होकर "hcl" का होता तो भारत की काफी मुद्रा विदेश जाने से बच जाती .....क्या इतनी समझ अखिलेश जी को नहीं है? या देश के प्रति दर्द नहीं है? या बाहर वालों के आगे छले जाने में लाज नहीं आती?.....
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आज सर्वेश अस्थाना जी ने कहा कि हम स्वदेशी चीजों का इस्तमाल करके रूपये की कीमत को बढ़ा सकते है और प्रभात प्रणय जी ने स्वदेशी वस्तुओं की लिस्ट प्रस्तुत की जिसमे पता चला कि बहुत से जाने माने उत्पादन भारत के हैं जो फैंसी नाम के कारण बाहर के लगते हैं .......पर यहाँ एक विचार और भी कई दिनों से मन में है उत्तर प्रदेश में लाखों लैपटॉप बांटे गए वैसे तो वो कोई अपनी जेब से नहीं बांटे जा रहे है फिर भी अगर वो "hp" का लैपटॉप न होकर "hcl" का होता तो भारत की काफी मुद्रा विदेश जाने से बच जाती .....क्या इतनी समझ अखिलेश जी को नहीं है? या देश के प्रति दर्द नहीं है? या बाहर वालों के आगे छले जाने में लाज नहीं आती?
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दो बातें हो सकतीं हैं या तो मुल्क के किसी बड़े राज नेता के भाषण या राष्ट्रीय त्योहारों पर सुरक्षा कर्मियों और पुलिस विभाग पर इतना अधिक मानसिक और शारीरिक श्रम करना पड़ता है कि उनको खाने पीने तक की फुर्सत नहीं मिलती तभी तो थोड़ी देर के भाषण में बगल में ही खड़ा पुलिस कर्मी बेहोश हो गया ....पर भाषण एक सेकेण्ड के लिए भी न रुका.... क्या यह मानवता है? अच्छा वक्ता बिना पढ़े अच्छा भाषण देगा ये तो निश्चित है मगर आज के दिन भी उसका व्यक्तिपरक भाषण क्या सही है? क्या सर्फ़ को ऊँचा दिखाने के लिए टाइड की कमी बताना जरुरी है? कहा जाता है दूसरी लाइन को छोटा करना हो तो उसके बगल एक बड़ी रेखा खींच दो ......(मैं किसी पार्टी से रिश्ता नहीं रखती )......
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