दिल जो न कह सका
Sunday, December 11, 2011
नव वर्ष बधाई -----२०१२
खटमिट्ठी यादों कि ओढ़ चदरिया,
गतवर्ष कहे मै चला बजरिया,
घर-घर बन्दनवार सजाओ,
नववर्ष लगे मानो नई दुल्हनिया,
आँगन-आँगन में साज सजाओ,
साल भर बजती रहे ढूलकिया,
गीत हर्ष के गूँजे घर-घर
छमछम नाचे नर नागरिया
भजन
हे ईश्वर मै जिधर देखूँ,
काशी उस ओर नज़र आए ,
एक पाँव धरूं जिस ओर प्रभु,
वृन्दावन और निकट आए,
हाथ उठे किसी कर्म को जब,
तेरे चरणों को छू जाए,
धडकन-धडकन तू हर साँस-साँस,
बोलूं तो राम निकल जाए,
पसरी ध्वनियों में कर्ण धरूं
श्रवण तेरे नाम का हो जाए,
हे ईश्वर मै जिधर देखूँ
काशी उस ओर नज़र आए
तुम ज़हन में अभी भी रहते हो
तुम ज़हन में अभी भी रहते हो,
तुमको खुद छोड़ कर मै आई थी,
याद आता है तेरा गीत बहुत
जिसे तुम संग मै गुनगुनाई थी,
ज़मी का बिस्तर औ चाँदनी चादर
रात भी देख मुस्कुराई थी,
छूकर प्याली जो तेरे पास गई
तूने भी होठ से लगाईं थी
सामने फिर से देखकर तुमको
दिल में धड़कन कहाँ समाई थी,
दूर जाने कि चाह थी फिर भी
दिल तेरे पास छोड़ आई थी,
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