Sunday, December 11, 2011

भजन

हे ईश्वर मै जिधर देखूँ,
काशी उस ओर नज़र आए ,
एक पाँव धरूं जिस ओर प्रभु,
वृन्दावन और निकट आए,
हाथ उठे किसी कर्म को जब,
तेरे चरणों को छू जाए,
धडकन-धडकन तू हर साँस-साँस,
बोलूं तो राम निकल जाए,
पसरी ध्वनियों में कर्ण धरूं
श्रवण तेरे नाम का हो जाए,
हे ईश्वर मै जिधर देखूँ
काशी उस ओर नज़र आए

1 comment:

  1. ईश्वर तो घट घट में वसते हैं!
    आपने ईश्वर की महत्ता को
    बहुत ही अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया है! शुभ-कामना

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