प्यारी तमाम बेटियों को आदर्शिनी माँ का एक सन्देश
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1-गर्व करो नारी हो तुम, सद्विचार है तुमसा कहाँ?
गिनती में नर से कम हो फिर भी सर झुकाता है जहां
पथ कंटीले पार कर मंजिल तलक पहुंची हो तुम
तुम सही,.. जालिम हैं वो, जो मिटा रहे तेरा निशां
2-बढ़ चलें है गर कदम डर से इन्हें न रोकना
आँख अपनी खोल पर, वातावरण को तोलना
जो धुंध गहरी लग रही छंट जायेगी ये एक दिन
हर कदम रखने से पहले बस पड़ेगा फूंकना
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3-साथ पढना साथ लिखना साथ होती मस्तियाँ
प्रश्न ये झुलसा रहा क्यों बढ़ रहीं हैं खाईयाँ
इक दुसरे के मित्र हो समझो मनो के भाव को
तकरार होती है सभी में होती कहाँ हैं लड़ाईयां
4...सौगंध ले लो आज से रक्षा का दृणसंकल्प ले लो
साथ हँसते खेलते बिताये तुम सारे वर्ष ले लो
बद्नज़र जो भी उठे, वो तुमसे होकर ही बढे
मन से अगर कोई हाथ थामे हाथ में तुम हाथ ले लो
३ और ४ नंबर के दो मुक्तक उन सह शिक्षा में पढने वाले सहपाठियों के नाम जो स्कूल में रह हर
कार्यक्रम में साथ-साथ भागीदारी करते है और मित्र की तरह रहते हैं
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5- तुम पर आज कोई भी नहीं इलज़ाम रखती हूँ
बने गमख्वार हो मेरे बड़ा एहसान रखती हूँ
अलख तुमने जलाई है उसे तुम बार कर रखना
जाते-जाते हुए हांथों तेरे काम रखती हूँ
सिंहापुर पुर से ३० तारिख की रात में लौटा पीड़ित कन्या का पार्थिव शरीर अपने पीछे लोगों को एक जिम्मेदारी सौप गया ...तब ये ५वामुक्तक
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1-गर्व करो नारी हो तुम, सद्विचार है तुमसा कहाँ?
गिनती में नर से कम हो फिर भी सर झुकाता है जहां
पथ कंटीले पार कर मंजिल तलक पहुंची हो तुम
तुम सही,.. जालिम हैं वो, जो मिटा रहे तेरा निशां
2-बढ़ चलें है गर कदम डर से इन्हें न रोकना
आँख अपनी खोल पर, वातावरण को तोलना
जो धुंध गहरी लग रही छंट जायेगी ये एक दिन
हर कदम रखने से पहले बस पड़ेगा फूंकना
जब पूरे देश की कन्याये बस में ६ लड़कों द्वारा हैवानियत का शिकार हुई लड़की की दुर्दशा देख
अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित और सहमी ही थी उस समय उनके हौसले को बढाने और उन्हें कर्मपथ
पर बढ़ने की प्रेरणा देने हेतु ये रचना की ......................................................................................................................
3-साथ पढना साथ लिखना साथ होती मस्तियाँ
प्रश्न ये झुलसा रहा क्यों बढ़ रहीं हैं खाईयाँ
इक दुसरे के मित्र हो समझो मनो के भाव को
तकरार होती है सभी में होती कहाँ हैं लड़ाईयां
4...सौगंध ले लो आज से रक्षा का दृणसंकल्प ले लो
साथ हँसते खेलते बिताये तुम सारे वर्ष ले लो
बद्नज़र जो भी उठे, वो तुमसे होकर ही बढे
मन से अगर कोई हाथ थामे हाथ में तुम हाथ ले लो
३ और ४ नंबर के दो मुक्तक उन सह शिक्षा में पढने वाले सहपाठियों के नाम जो स्कूल में रह हर
कार्यक्रम में साथ-साथ भागीदारी करते है और मित्र की तरह रहते हैं
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5-
बने गमख्वार हो मेरे बड़ा एहसान रखती हूँ
अलख तुमने जलाई है उसे तुम बार कर रखना
जाते-जाते हुए हांथों तेरे काम रखती हूँ
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