दीवानगी को मेरी बढा गया वो
यादों के शोर में कहीं दस्तक थी दब गई
दर पर अचानक मगर आ गया वो
देख सामने बेखुदी सी छा गई
कशमकश देख मेरी मुस्कुरा दिया वो
दूरियाँ थी जो यादों को दर्द बना गई
शिकवे मिटा नए रिश्ते बना गया वो
नूर देख राज़ लोग पूछने लगे
कहा नहीं की आकर सजा गया वो
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