Thursday, June 2, 2016

मुक्तक

     

हो दो हृदयों का मौन मिलन
तब कथ्य कहाँ सब अनिवर्चन
बस हो आँखों में शोर बहुत
निःशब्द मनोगत गठबंधन
.....आदर्शिनी श्रीवास्तव

No comments:

Post a Comment