दिल जो न कह सका
Wednesday, December 28, 2011
कोहरा
हिम सा प्रसरित है रजत कोहरा
गगन धरा सब श्वेत हुई
पाती-पाती सच्चे मोती को
पाकर् के अभिभूत हुई
विधु कि किरणों से लिपटी उतरी
कुछ पल को खामोश रही
रवि किरण के साथ जा उडी
फिर से नभ में विलीन हुई
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