आज अचानक फिर उनसे मुलाकात हो गई,
विरह मौन का सह-सहकर जो आकुल थी गालियाँ,
बहुत दिनों से बुझी हुई थी जो मधुरिम कलियाँ,
आज अनोखे रंगों कि उनमे भरमार हो गई,
रिमझिम-रिमझिम सीने में बरसात हो गई,
इन्द्रधनुष के पाश में बंधकर मन ऐसा झूमा,
गोलाकार पवन सा मन मेरा नाच-नाच घूमा,
साँसे मेरी गतदिन से मानो तेज हो गईं,
रिमझिम-रिमझिम सीने में बरसात हो गई,
कुसुमाकर दौड़ा आया, जैसे नीरस पतझड़ छोड़,
शांत उडुगन भी नभ पर, आज मचाते कितना शोर,
उर में उसके धड़कन कि मेरी गूँज हो गई,
रिमझिम-रिमझिम सीने में बरसात हो गई,
मतवाला होने दो हमको आज न बोलो हमसे कुछ,
नयन मूँद लेने दो मुझको खोने दो अब हमको सुध,
पीकर आँख-आँख का प्याला महामिलन कि भोर हो गई,
रिमझिम-रिमझिम सीने में बरसात हो गई,
आज अचानक फिर उनसे मुलाकात हो गई,
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