शीतलता का सतसंग,
ललसित हो 'दर्शी'बंधी,
मनोहर रूप बंधन,
राजीव लोचन कामिनी,
रंगी रंग मतंग,
रजनी शरद का पूर्णिमा,
लहरों में कंगन,
मणि सी अवनी की ज्योत्सना,
बनी दिवाली पंक्ति,
रागिनी राग अलापती,
लख वन-उपवन-नंदन,
श्रद्धा से नयनी ताक रही,
करवा चौथ चन्दन,
अमीरस में वीरांगना,
तज चली अनी अनन्त,
माँ सिद्धेश्वरी औ श्रीकृष्ण को नमन करे,
'आदर्शिनी' अग्रजों संग,
दृग से अश्रु पोछती,
उठी कर स्मृतियाँ भंग,
पिता जी =श्रीकृष्ण
मम्मी=सिद्धेश्वरी
भाई भाभी=राजीव-कामिनी,अवनी-मणि
बहने=रजनी,रागिनी,नयनी,वीरांगना,आदर्शिनी
सभी को बहुत बहुत याद करते हुए
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